आबू- दिलवाड़ा
के जैन मन्दिर के लिए प्रसिद्ध यह प्रसिद्ध यह स्थान अरावली पर्वत पर स्थित है ।
भुवनेश्वर- वर्तमान उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर
परशुरामेश्वरम्, मुक्तेश्वर तथा मेघेश्वर के मंदिरों के कारण
विख्यात है ।
बादामी- चालूक्यों की यह राजधानी चट्टानों से बनाए गए
स्तम्भों पर खड़े भवनों व हिन्दू मंदिरों के कारण विख्यात है ।
मुम्बई- वर्तमान समय का सर्वाधिक प्रसिद्ध शहर मुम्बई ‘गेट
वे ऑफ इण्डिया’ अथवा ‘भारत का प्रवेश द्वार’
के नाम से जाना जाता है ।
वाराणसी-
भारत की सात पवित्र नगरियों में
गणना की जाने वाली यह नगरी विश्वनाथ मंदिरो के लिए प्रसिद्ध है ।
कांची- पल्लवों की यह राजधानी कैलाश मन्दिर के लिए
प्रसिद्ध है ।
खजुराहो- चन्देल शासकों द्वारा निर्मित यहां का चौसठ योगिनी
मन्दिर सबसे प्रसिद्ध मन्दिर माना जाता है । इसके अलावा खजुराहो में ही कन्डारिया महादेव
मन्दिर भी स्थित है जो 109’x60’x116’ केडबल्यू
आकार में बना है तथा मन्दिर वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है ।
कोणार्क- यह स्थान सूर्य मन्दिर के लिए विख्यात है ।
ग्वालियर- मध्य प्रदेश में स्थित यह स्थल सास-बहू मन्दिर के
लिए प्रसिद्ध है ।
गंगैकोण्डचोलपुरम्- यह स्थान तमिलनाडु प्रांत के त्रिचनापल्ली जिले
में स्थित है । यहां पर राजेन्द्र-1 ने 340’x10’ के आकार में एक भव्य मन्दिर का निर्माण करवाया था
। यह नगर चोल काल में अत्यंत विकसित एवं समृद्धशाली था ।
महाबलीपुरम्- यह स्थल पत्थरों से बनाए गए “सप्त पगोडा’
के मन्दिर के लिए विख्यात है ।
वृन्दावन- भगवान श्रीकृष्ण की यह जन्मस्थली रंगजी मन्दिर के
लिए प्रसिद्ध है ।
पुरी- यह स्थल जगन्नाथपुरी मन्दिर के लिए विख्यात है ।
उदयपुर- ‘झीलों की नागरी’ नाम से विख्यात यह शहर
1651 में बनाये गए जगदीश मन्दिर के लिए विख्यात है ।
ऐहोल- कर्नाटक के बीजापुर स्थित ऐहोल में 70 मंदिरों के
अवशेष मिलते है, जिनमें से चालुक्य शासकों द्वारा बनवाये गए तीन
मन्दिर लाड़खान मन्दिर, दुर्गा मन्दिर तथा हच्चीमल्लीगुड्डी मन्दिर
सर्वाधिक उल्लेखनीय है ।
रामेश्वरम्- तमिलनाडु में बंगाल की खाड़ी में स्थित यह स्थल
रामनाथ स्वामी मन्दिर के लिए विख्यात है ।
भीतरगांव- उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में स्थित यह स्थल
ग्यारहवीं शताब्दी के मंदिरों के विख्यात रहा । यहां स्थित मंदिरों की यह विशेषता
है कि ये मन्दिर नागर एवं द्रविड़ दोनों शैलियों में निर्मित किये गये है । नागर
शैली का सबसे प्रसिद्ध मन्दिर पापनाथ का मन्दिर है जबकि द्रविड़ शैली के मंदिरों मे
सबसे अधिक विख्यात मन्दिर विरूपाक्ष का मन्दिर है ।
तंजौर- चोल साम्राज्य की राजधानी और बृहदेश्वर मन्दिर के
लिए विख्यात है ।
मदुरा- यह
नगर मदुरा नरेश तिरुमल्लई नायक तथा उसके वंशजों द्वारा बनवाये गये मीनाक्षी के लिए
प्रसिद्ध है ।
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