Friday, May 13, 2016

Indian History : प्राचीन भारत – 9

1. वैदिक आर्यों की सभ्यता के अध्ययन के लिए कौन सा ग्रन्थ सर्वाधिक प्रमाणिक है ?
 - ऋग्वेद
2. उपनिषदों का संकलन कब हुआ था ?
 - 600 ईसा पूर्व
3. कर्मकाण्ड प्रधान ग्रन्थ कौन सा है ?
 - यजुर्वेद
4. यजुर्वेद दो भागों में बंटा गया है l उनके नाम क्या है ?
 - कृष्ण यजुर्वेद और शुक्ल यजुर्वेद
5. चरों वेदों के एक-एक उपवेद भी है l उनके नाम क्या है ?
 - आयुर्वेद, धनुर्वेद, गंधर्ववेद और शिल्पवेद
6. आयुर्वेद किससे सम्बंधित है ?
 - चिकित्सा

Indian History :प्राचीन भारत – 8

1.आर्यों कि प्रशासनिक व्यवस्था पांच भागों में बंटी गई थी , उनके नाम कौन-कौन है ?
 - कुल, ग्राम, विश, जन, राष्ट्र
2. वैदिक काल में मुखिया को क्या कहा जाता था ?
 - ग्रामिणी
3. जन शब्द का उल्लेख ऋग्वेद में कितना बार मिलता है ?
 - 275
4. वैदिक काल में पति का अर्थ क्या होता था ?
 - ग्राम का अधिकारी
5. वैदिक काल में व्यापर हेतु दूर जाने वाला व्यक्ति क्या कहलाता था ?
 - पणि

Thursday, May 12, 2016

ऐतिहासिक मन्दिर स्थानावली

आबू- दिलवाड़ा के जैन मन्दिर के लिए प्रसिद्ध यह प्रसिद्ध यह स्थान अरावली पर्वत पर स्थित है ।
भुवनेश्वर- वर्तमान उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर परशुरामेश्वरम्, मुक्तेश्वर तथा मेघेश्वर के मंदिरों के कारण विख्यात है ।
बादामी- चालूक्यों की यह राजधानी चट्टानों से बनाए गए स्तम्भों पर खड़े भवनों व हिन्दू मंदिरों के कारण विख्यात है ।
मुम्बई- वर्तमान समय का सर्वाधिक प्रसिद्ध शहर मुम्बई गेट वे ऑफ इण्डिया अथवा भारत का प्रवेश द्वार के नाम से जाना जाता है ।
वाराणसी- भारत की सात पवित्र नगरियों में गणना की जाने वाली यह नगरी विश्वनाथ मंदिरो के लिए प्रसिद्ध है ।
कांची- पल्लवों की यह राजधानी कैलाश मन्दिर के लिए प्रसिद्ध है ।
खजुराहो- चन्देल शासकों द्वारा निर्मित यहां का चौसठ योगिनी मन्दिर सबसे प्रसिद्ध मन्दिर माना जाता है । इसके अलावा खजुराहो में ही कन्डारिया महादेव मन्दिर भी स्थित है जो 109x60x116 केडबल्यू आकार में बना है तथा मन्दिर वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है ।
कोणार्क- यह स्थान सूर्य मन्दिर के लिए विख्यात है ।
ग्वालियर- मध्य प्रदेश में स्थित यह स्थल सास-बहू मन्दिर के लिए प्रसिद्ध है ।
गंगैकोण्डचोलपुरम्- यह स्थान तमिलनाडु प्रांत के त्रिचनापल्ली जिले में स्थित है । यहां पर राजेन्द्र-1 ने 340x10 के आकार में एक भव्य मन्दिर का निर्माण करवाया था । यह नगर चोल काल में अत्यंत विकसित एवं समृद्धशाली था ।
महाबलीपुरम्- यह स्थल पत्थरों से बनाए गए “सप्त पगोडा के मन्दिर के लिए विख्यात है ।
वृन्दावन- भगवान श्रीकृष्ण की यह जन्मस्थली रंगजी मन्दिर के लिए प्रसिद्ध है ।
पुरी- यह स्थल जगन्नाथपुरी मन्दिर के लिए विख्यात है ।
उदयपुर- झीलों की नागरी नाम से विख्यात यह शहर 1651 में बनाये गए जगदीश मन्दिर के लिए विख्यात है ।
ऐहोल- कर्नाटक के बीजापुर स्थित ऐहोल में 70 मंदिरों के अवशेष मिलते है, जिनमें से चालुक्य शासकों द्वारा बनवाये गए तीन मन्दिर लाड़खान मन्दिर, दुर्गा मन्दिर तथा हच्चीमल्लीगुड्डी मन्दिर सर्वाधिक उल्लेखनीय है ।
रामेश्वरम्- तमिलनाडु में बंगाल की खाड़ी में स्थित यह स्थल रामनाथ स्वामी मन्दिर के लिए विख्यात है ।
भीतरगांव- उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में स्थित यह स्थल ग्यारहवीं शताब्दी के मंदिरों के विख्यात रहा । यहां स्थित मंदिरों की यह विशेषता है कि ये मन्दिर नागर एवं द्रविड़ दोनों शैलियों में निर्मित किये गये है । नागर शैली का सबसे प्रसिद्ध मन्दिर पापनाथ का मन्दिर है जबकि द्रविड़ शैली के मंदिरों मे सबसे अधिक विख्यात मन्दिर विरूपाक्ष का मन्दिर है ।
तंजौर- चोल साम्राज्य की राजधानी और बृहदेश्वर मन्दिर के लिए विख्यात है ।
मदुरा- यह नगर मदुरा नरेश तिरुमल्लई नायक तथा उसके वंशजों द्वारा बनवाये गये मीनाक्षी के लिए प्रसिद्ध है ।